Menu
blogid : 11280 postid : 518

महिलाओं के कपड़े पहनने में कभी शर्म नहीं की !

हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
  • 150 Posts
  • 69 Comments

बच्चन काफी छोटे नहीं थे, उनमें समझ थी कि किसको क्या कहना और क्या नहीं कहना फिर भी एक बार उन्होंने गलती से इन्हें दादा नहीं दीदी कह दिया था. तब भी उन्होंने अपने चेहरे पर निराशा के भाव तक नहीं आने दिए. मशहूर निर्देशक कल्पना लाजमी मशहूर निर्देशक ऋतुपर्णो घोष की तारीफ करते हुए कहते हैं कि फैशन शो हो या फिर पुरस्कार समारोह ऋतुपर्णो घोष महिलाओं की पोशाक में नज़र आते थे जिसके लिए वो कई बार मीडिया में चर्चा का पात्र भी बन जाते थे. बावजूद इसके वो बिना किसी झिझक या शर्म के महिलाओं के कपड़े पहनते थे और समलैंगिकता पर अपने विचार खुलकर व्यक्त करते थे.

Read: बदनाम हुए फिर भी नाम हो गया


Rituparno Ghosh Death

ऋतुपर्णो घोष ने अपने दोस्तों को बताया था कि एक बार अभिषेक बच्चन ने उन्हें ऋतु दा नहीं ऋतु दी कह दिया था पर यह बात बताते समय उनके चेहरे पर कोई निराशा नहीं थी और ना ही जिंदगी से कोई शिकायत थी. कोलकाता की सुबह उस वक्त भीग गई जब उसकी ओट से सूरज की किरणों के साथ यह खबर भी फैलने लगी कि ऋतुपर्णो घोष नहीं रहे. गुरुवार 30 मई की सुबह साढ़े तीन बजे ऋतुपर्णो घोष ने आखिरी सांस ली. ऋतुपर्णो घोष कुल 12 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (नेशनल फिल्म अवॉर्ड) जीत चुके थे और वो पैन्क्रियाटाइटिस से पीड़ित भी थे. महज 49 वर्ष की उम्र में वो मौत को प्यारे हो गए. पिछले साल भी बांग्ला फिल्म ‘अबोहोमन’ के लिए ऋतुपर्णो घोष को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था.


Read:इन्होंने पहली बार में नहीं की इजहार-ए-मोहब्बत



rituparno ghoshRituparno Ghosh Movies

कोलकाता में जन्मे ऋतुपर्णो घोष को फिल्म निर्माण की कला पिता से विरासत में मिली. उनके पिता डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाया करते थे. ऋतुपर्णो ने अपने कॅरियर की शुरुआत बाल फिल्मों के निर्माण से की थी. विज्ञापनों की दुनिया से अपना कॅरियर शुरू करने वाले ऋतुपर्णो घोष की निर्देशक के रूप में पहली फिल्म वर्ष 1994 में रिलीज़ हुई ‘हीरेर आंगती’  थी और इसी फिल्म से उनका नाम मशहूर होने लगा था. वर्ष 1994 में ही उनके निर्देशन में बनी दूसरी फिल्म ‘उन्नीशे अप्रैल’ रिलीज हुई जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था. वर्ष 1963 में 31 अगस्त को कोलकाता में जन्मे ऋतुपर्णो घोष ने पर्दे पर दिखाई देने का फैसला किया था पर पहली बार वर्ष 2003 में रिलीज हुई हिमांशु परीजा द्वारा निर्देशित उड़िया फिल्म ‘कथा दैथिली मा कु’ में दिखाई दिए. इसके अलावा उन्होंने ‘दहन’, ‘असुख’ ‘चोखेर बाली’, ‘रेनकोट’, ‘बेरीवाली’, ‘अंतरमहल’ और ‘नौकादुबी’ जैसी बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन किया था. ऋतुपर्णो घोष ने वर्ष 2003 में ऐश्वर्या  राय को लेकर बंगला फिल्म चोखेर बाली बनाई, जिसके लिए वे राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए गए. वर्ष 2004 में उन्होंने एक बार फिर से ऐश्वर्या राय को लेकर हिंदी फिल्म रेनकोट बनाई पर इस फिल्म में अजय देवगन अहम भूमिका में थे. इस फिल्म से ऋतुपर्णो घोष हिन्दी फिल्मों के निर्देशन के लिए भी पहचाने जाने लगे. बॉलीवुड की खास शख्सियत अमिताभ ने ऋतुपर्णो घोष के साथ 2007 में रिलीज हुई अंग्रेजी फिल्म ‘द लास्ट लियर’ में एक साथ काम किया था.


Rituparno Ghosh Movies In Hindi

हिन्दी फिल्में हों या फिर बांग्ला फिल्में पर फिल्मों ने हमेशा से समाज को सच्चाई दिखाने की कोशिश की है. ऋतुपर्णो घोष एक ऐसे निर्देशक थे जिन्होंने हमेशा से समाज की सच्चाई को सामने रखा है. बच्चे, समाज, महिलाएं या फिर समलैंगिकता हो ऐसे सभी परेशानियों को आधार बनाते हुए उन्होंने अपने फिल्मी कॅरियर में तमाम फिल्मों का निर्देशन किया. बहुत बार ऐसा होता है जब निर्देशक तो सच्चाई दिखाते हैं पर समाज उसे गलत नजरिए से देख लेता है. आपको याद होगा जब करण जौहर ने दोस्ताना फिल्म बनाई थी उसके बाद समाज में दोस्ताना शब्द को लेकर एक क्रेज शुरू हो गया. ऐसा नहीं है कि समाज सच्चाई को देखना नहीं चाहता है पर बहुत बार ऐसा होता है कि किसी फिल्म को समाज अपनी मेट्रोलाइफ का हिस्सा बना लेता है.


Read:दिलीप की अनारकली मधुबाला नहीं नरगिस थीं !!

आर्मी बैकग्राउंड की लड़कियों को लुभाती है माया नगरी !!


Tags: Rituparno Ghosh, Rituparno Ghosh Death, Rituparno Ghosh Movies, Rituparno Ghosh Movies In Hindi, ऋतुपर्णो घोष,  ऋतुपर्णो घोष फिल्म, ऋतुपर्णो घोष हिंदी फिल्म, ऋतुपर्णो घोष फिल्में




Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh