Menu
blogid : 11280 postid : 435

कुछ अलग कर चुनौती देने का अंदाज था इनका

हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
  • 150 Posts
  • 69 Comments

एक्टिंग की दुनिया में शर्म की कोई जगह नहीं है फिर चाहे वो अभिनेता हो या फिर अभिनेत्री. सिद्धार्थ मल्‍होत्रा का नाम तो आप जानते ही होंगे. फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत करने वाले सिद्धार्थ मल्‍होत्रा फिल्मी पर्दे पर अभिनेत्रियों के करीब जाने से डरते हैं या फिर यह कहें कि उन्हें शर्म आती है अभिनेत्रियों के साथ बोल्ड सीन करने पर. आज अभिनेत्रियों से शर्माने की बात करने के पीछे का कारण है आपको हिन्दी सिनेमा के उस समय में ले जाना जब एक अभिनेता बिना अभिनेत्रियों के करीब जाए अभिनय करता था और इसके बाद भी उसका नाम सुपरस्टार अभिनेताओं की लिस्ट में टॉप पर लिया जाता था.

Read:माधुरी और संजय दत्त के बीच क्या-क्या नहीं हुआ !


‘तौबा यह मतवाली चाल झुक जाए फूलों की डाल’ यह गाना फिल्म ‘पत्थर के सनम’ का है और इस गाने में मनोज कुमार ने बिना मुमताज को छुए जिस तरीके से अभिनय किया है वो आज भी उनके चाहने वालों को याद है. हाल ही में पांचवें नासिक अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव(एनआईएफएफ) में अभिनेता मनोज कुमार को लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार 2012 से नवाजा गया है. आजकल हिन्दी सिनेमा में अधिकांश अभिनेताओं का मानना है कि बिना बोल्ड सीन किए ज्यादा लंबे समय तक बॉलीवुड की दुनिया में अपना पैर नहीं जमाया जा सकता है पर इसी बात को चुनौती देते हुए अपने जमाने के मशहूर अभिनेता मनोज कुमार का मानना है कि ‘अभिनय में दम होना चाहिए फिर चाहे आप अभिनेत्री के करीब जाकर सीन करें या दूर.

Read:अमिताभ और रेखा को आज भी वो रात याद है


‘छवि बदलने में समय नहीं लगता है’

‘छवि आपके अभिनय से बनती है’ ऐसा मानना है मनोज कुमार का. हिन्दी सिनेमा में सालों पहले ऐसा समय था जब अधिकांश अभिनेता रोमांटिक छवि की फिल्में करना पसंद करते थे पर उस समय मनोज कुमार ने हिन्दी सिनेमा का रुख देशभक्ति की तरफ कर दिया था और ऐसी फिल्में करनी शुरू कर दी थी जिसमें रोमांटिक छवि को चुनौती देकर देशभक्ति की भावना जाग्रत की जा सके. मनोज ने अपने कॅरियर में शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम तथा क्रांति जैसी देशभक्ति पर आधारित अनेक बेजोड़ फिल्मों में काम किया.शहीदउनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है. इस फिल्म में उनके द्वारा निभाया गया शहीद भगतसिंह का किरदार बेहतरीन रहा.

आज सालों बाद भी मनोज कुमार का यही कहना है कि अभिनेता फिल्मों में बोल्ड किरदार करने के लिए मजबूर नहीं हैं बस वो कुछ नया नहीं करना चाहते हैं और ना ही बोल्ड किरदारों को चुनौती देना चाहते हैं. सोचिए जरा क्या वास्तव में हिन्दी सिनेमा में ऐसी स्थिति दुबारा आ सकती है कि जब कोई अभिनेता मनोज कुमार की तरह कुछ नया करेगा और पुराने किरदारों को चुनौती देगा.

Read:ऐश्वर्या ने क्यों सलमान खान का साथ छोड़ दिया था ?


Tags: bollywood masti, bollywood masala, Manoj Kumar, Manoj Kumar style, मनोज कुमार

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh