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बॉलिवुड में अगर प्रेम को कोई बिना लाग-लपेट के पर्दे पर उतार सकता था तो वह थे यश चोपड़ा. सिलसिला या मोहब्बतें जैसी फिल्में साबित करती हैं कि यश चोपड़ा साहब अपने काम में कितने निपुण थे. आज के नए निर्देशक जहां प्यार के नाम पर सॉफ्ट पोर्न परोसने लगते हैं उन्हें यश चोपड़ा से सीखने की जरूरत है कि प्यार को कैसे प्यार के रूप में पेश किया जाता है.
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तीन घंटे की एक लंबी फिल्म, कहानी का धीमापन और शाहरुख का कम होता रोमांस आदि जैसी तमाम कमियों के बाद भी अगर आप इस हफ्ते बॉलिवुड की एक ऐतिहासिक फिल्म देखने का बहाना ढूंढ़ रहे हैं तो वह है यश चोपड़ा को श्रद्धांजलि. जो जज्बा अपने जीवन के अंतिम क्षणों में यश चोपड़ा जी ने शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा जैसे कलाकारों से बेहतरीन काम निकालने में दिखाया है वह काबिलेतारीफ है. चाहे आप फिल्म की कहानी की लंबाई पर कितने भी कमेंट करें लेकिन फिल्म के निर्देशन पर एक सवाल भी उठाना बिलकुल गलत है. आइए जानें कैसी है यश चोपड़ा की आखिरी “लव ब्लॉक बस्टर”.
निर्माता: आदित्य चोपड़ा
निर्देशक: यश चोपड़ा
गीत: गुलजार, ए.आर. रहमान
कलाकार: शाहरुख खान,कैटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, अनुपम खेर, गेस्ट रोल में ऋषि कपूर, नीतू सिंह
रेटिंग: **1/2 (2.5 out of 5)
फिल्म की कहानी
यश चोपड़ा के निधन के बाद उपजी सहानुभूति या फिर उनकी आखिरी फिल्म कहकर प्रचारित की गई इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर दर्शक जरूर मिल सकते हैं लेकिन फिल्म का कंटेंट दोयम दर्जे का है. दृश्यों में इतने दुहराव हैं कि लगेगा यशराज कैंप की पिछली फिल्म में देख चुके हैं और मेलोड्रामा इतना कि आप बरबस कह उठते हैं कि ऐसा कहीं होता है. मसलन, फिल्म के नायक की याद्दाश्त एक कार से टकराने के बाद चली जाती है और एक बम धमाके से वापस आ जाती है. लंदन में ऐसी कौन सी ट्रेन हैं जहां बम की अफवाह के बाद वहां की पुलिस एक भारतीय आदमी को बम डिफ्यूज करने की मंजूरी दे देती है और दुनिया में ऐसी कौन सी प्रेमिका है जो अपने प्रेमी को भगवान को किए गए एक वादे की वजह से छोड़ देती है.
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ऐसे एक नहीं बहुतेरे दृश्य आपको इस फिल्म में देखने को मिलेंगे. फिल्म की कहानी है इंडियन आर्मी के बम निरोधक दस्ते के मेजर समर आनंद शाहरुख की जो अपनी ही दुनिया में गुम रहता है और हर बार बम निरोधक दस्ते की ड्रेस को पहने बिना ही बम डिफ्यूज कर देता है. एडवेंचर की शौकीन अकीरा राय एक डॉक्यूमेंट्री बनाने आई हैं और उनके हाथ समर की डायरी लग जाती है जिससे समर की प्रेम कहानी उसको पता लग जाती हैं. एकदम बिंदास टाइप की लड़की बनी अकीरा को दो मिनट के अंदर समर से प्यार हो जाता है. प्रेम त्रिकोण बनाने में यश चोपड़ा को महारत हासिल रही है लेकिन 2012 में जब प्रेम को रोज नई परिभाषा मिल रही है ऐसे में फिर त्रिकोण कितना विश्वसनीय लगेगा आप सोच सकते हैं.
शाहरुख पुराने वाले शाहरुख लगे हैं, उन्होंने अपने एक्सप्रेशंस मोहब्बतें, कभी खुशी कभी गम और कल हो न हो वाले ही रखे हैं. हिंदी सिनेमा के दर्शकों के लिए वह सुनहरा दिन होगा जब कैट्रीना कायदे की हिंदी में संवाद बोल पाएंगी. दुनिया के किसी भाषा के सिनेमा में ऐसी अभिनेत्री शीर्ष पर नहीं होगी जो उस भाषा के संवाद ही न बोल पाती हो. अनुष्का शर्मा का बबलीपना उनके लिए मुसीबत का सबब बनता दिख रहा है. बैंड बाजा बारात में अपने ही तैयार किए खांचे को वह तोड़ नहीं पा रही हैं. वह जब भी संवाद बोलती हैं तो लगता है कि यह तो दुनिया को धता बताने वाली लड़की है लेकिन दूसरे ही दृश्य में उसको दुनिया से फर्क पड़ता हुआ भी बताया जाता है.
लेकिन अगर इस फिल्म को सबसे बड़ा प्लस प्वॉइंट है तो वह है फिल्म का संगीत. गुलजार साहब के लिखे गाने और ए.आर. रहमान का संगीत जहां दोनों एक साथ हों वहां आपको संगीत में कमी चाह कर भी नहीं मिल सकती. दोनों ने मिलकर संगीत के दीवानों को झूमने का मौका देता है. ‘जिया रे जिया रे, जिया हो’, ‘छल्ला’, ‘सांस में तेरी सांस मिली तो मुझे सांस आई’ गाने पहले से ही संगीत प्रेमियों की जुबां पर चढ़े हैं.
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