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कजरारे नैनों की कहानी !!!(पार्ट -1)

हिन्दी सिनेमा का सफरनामा
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ग्लैमर और फैशन का पर्याय बन चुकी बॉलिवुड इंडस्ट्री कुछ वर्षों पूर्व ब्लैक एंड ह्वाइट की बेरंग दुनिया में डूबी हुई थी. कहानी और अदाकारी की कसौटी पर वह क्लासिक फिल्में खरी उतरती थीं लेकिन जब बात फैशन की आए तो रंगों के अभाव में फिल्म की चमक फीकी पड़ जाती थी. कलाकार चाहे किसी भी रंग के कपड़े पहनें पर्दे पर केवल दो ही रंग नजर आते थे ब्लैक एंड ह्वाइट. आज के दौर की अभिनेत्रियों की खूबसूरती के बारे में कोई दो राय नहीं है लेकिन मेक-अप और चकाचौंध के पीछे उनकी अपनी खूबसूरती खो सी जाती है जबकि गुजरे जमाने की अभिनेत्रियां अपनी सादगी के लिए ही जानी जाती थीं. पर्दे पर रंग नहीं दिखाए जा सकते थे इसीलिए उनका सादापन ही दर्शकों को बांध कर रखता था. समय बीता और ब्लैक एंड ह्वाइट के स्थान पर आगमन हुआ रंगों से लैस नवीन तकनीकों का.


madhubalaफीके और उबाऊ से रंगीन होते ही बड़े पर्दे की तो जैसे सूरत ही बदल गई. 60 के दशक तक आते-आते फिल्मों में सादगी के स्थान पर मेक-अप की प्रधानता देखी जाने लगी. शर्मीला टैगोर, हेमा मालिनी, मधुबाला, मीना कुमारी, मुमताज, सायरा बानो आदि जैसी खूबसूरत हिरोइनों की बड़ी और काली आंखें तो आपको याद ही होंगी. जहां पहले हिरोइनें फीकी सी साड़ी और लंबी सी चोटी में दिखाई देती थीं वहीं मेक-अप के साथ-साथ अब उनके हेयर स्टाइल और कपड़े पहनने के तरीके में भी बड़ा अंतर आ गया.


खोया खोया चांद से हलकट जवानी तक पहुंच गया बॉलिवुड


एक समय था जब फिल्म की अभिनेत्रियां अपना कॉस्मेटिक सामान ही प्रयोग करती थीं और खुद ही तैयार हो जाया करती थीं. लेकिन 60 के दशक में निर्माता-निर्देशक केवल फिल्म की कहानी या अदाकारी पर ही ध्यान नहीं देते थे बल्कि पर्दे पर उनके कलाकार कैसे दिख रहे हैं वह इस बात पर भी नजर रखते थे. इसे बॉलिवुड का ग्लैमर की तरफ पहला कदम भी कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा क्योंकि उस समय फिल्मी सितारों का हर स्टाइल दर्शकों के लिए आदर्श बनता जा रहा था. यह फिल्मी ग्लैमर के आम जीवन में दखल की शुरुआत ही थी.


देव आनंद की टोपी हो या मुमताज की साड़ी, मीना कुमारी की आंखें हों या सायरा बानो की कसी हुई कुर्ती, फिल्मी सितारों की हर चीज दर्शकों के लिए फैशन ट्रेंड बनकर उभर रही थी. बालों की स्टाइल उस दौर की सबसे बड़ी खासियत थी. साड़ी के साथ बड़ा सा हेयर बंच और साधना की तरह माथे पर आते बाल, जिसे साधना कट का ही नाम दे दिया गया था, महिलाओं को बहुत पसंद आता था.


आज भले ही फिल्मों में बैलबॉटम, हाफ जैलेट, मफलर और टोपी जैसे परिधान नदारद हों लेकिन उस समय इन सभी चीजों का भरपूर प्रयोग किया गया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा भी था. नर्गिस, राज कपूर, सायरा बानो, सुनील दत्त, आशा पारेख, राज कुमार आदि जैसे कलाकारों ने फैशन इंडस्ट्री को एक नया आयाम दिया.


dev anandइन कलाकारों ने जिस चलन की शुरुआत की उसे आगे बढ़ाया जितेन्द्र, धर्मेन्द्र, अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, रेखा, हेमा मालिनी आदि जैसे सुपरस्टारों ने. उमराव जान की रेखा हो या फिल्म शोले की बसंती कहानी की मांग के साथ-साथ अभिनेत्रियों के मेक-अप और उनके बाहरी व्यक्तित्व को भी पूरी तरह बदला गया. धीरे-धीरे बॉलिवुड ने फैशन इंडस्ट्री को अपने अंदर समाहित ही कर लिया.


पहले जहां फिल्म अभिनेत्रियां साड़ी और सलवार सूट में नजर आती थीं वहीं अब उन्हें नए-नए परिधानों में पेश किया गया. कपड़ों के साथ-साथ उनके मेक-अप पर भी पूरा ध्यान दिया जाता और शायद बहुत अधिक खर्च भी किया जाने लगा.


ग्लैमर और मसाला तो है लेकिन ……


यह तो सिर्फ शुरुआत थी क्योंकि….. फैशन में आए बदलावों के बारे में आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें

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