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HISTORY OF BOLLYWOOD
यूं तो हिंदी फिल्मों का सफर 1930 के दशक से ही शुरू हो गया था लेकिन बॉलिवुड को अपनी असल पहचान हासिल करने के लिए बहुत लंबा संघर्ष करना पड़ा. वर्षों लंबे चले इस संघर्ष में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. अपने अथक और सफल प्रयासों के बल पर आज बॉलिवुड इंडस्ट्री प्रमुखता के साथ फिल्म निर्माण के क्षेत्र में अपनी जड़ें जमा चुकी है.
तकनीक और सुविधाओं में हुई उल्लेखनीय प्रगति के परिणामस्वरूप हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के शुरुआती दौर से लेकर उसके वर्तमान स्वरूप में काफी हद तक भिन्नता देखी जा सकती है. लेकिन कहते हैं ना हर समय की अपनी एक खासियत होती है. यही वजह है कि ब्लैक एण्ड व्हाइट और ग्लैमर विहीन होने के बावजूद सिनेमा के हर युग की कुछ का कुछ विशेषता अवश्य रही है. हर दशक के अपने सुपरस्टार होते हैं और कुछ ऐसी फिल्में जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाती हैं. बॉलिवुड की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को 1950 के दशक से पहचान मिलने लगी थी. बॉलिवुड की विशेषताएं और खूबियों को 1950 से लेकर 2000 तक के सफर में निम्नलिखित बिंदुओं के द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है.
1950 का स्वर्णिम काल – निर्विवादित रूप से वर्ष 1950 से लेकर 1960 के समय को बॉलिवुड का सुनहरा युग कहा जा सकता है. यह वह समय था जब बॉलिवुड में भी अभिनय, संगीत और कविताओं के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति हुई. इस दौरान हिंदी सिनेमा को उसके कुछ ऐसे कलाकार भी मिले जिन्होंने अपने अभिनय के जादू से दर्शकों को बांध कर रखा. वहीदा रहमान, राज कपूर, नर्गिस, गुरु दत्त, नूतन, अशोक कुमार, मधुबाला, मीना कुमारी ऐसे ही कुछ नाम हैं जिनकी खूबसूरती और यादगार अभिनय का जादू आज भी फिल्म प्रशंसकों पर छाया हुआ है.
इस दौर की सबसे खूबसूरत विशेषता है इस दौरान प्रदर्शित हुई कागज के फूल, श्री 420, जिस देश में गंगा बहती है, आवारा आदि जैसी फिल्में. इतना ही नहीं इस सुनहरे युग में लता मंगेशकर, शंकर जयकिशन, मुकेश, आर.डी बर्मन, मन्ना डे, हेमंत कुमार, किशोर कुमार आदि ने संगीत के क्षेत्र में भी अपना अतुलनीय योगदान दिया. आज हम जिसे बॉलिवुड कहते हैं उसका आगमन सिनेमा के इसी काल में हो गया था.
1960 की रंगीन दुनिया – यह वह समय था जब ब्लैक एण्ड व्हाइट सिनेमा को अपने रंग मिलने लगे थे. वर्ष 1959 के अंत तक आते-आते फिल्मों का स्वरूप भी पूरी तरह बदल गया. परंपरागत अभिनय और संगीत से इतर बॉलिवुड में कई तरह प्रयोग भी किए जाने लगे. पहले जहां हिंदी फिल्मों में केवल शालीनता को ही महत्व दिया जाता था वहीं इस दौरान फिल्म को ग्लैमर का तड़का दिए जाने की पहल की जाने लगी. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को माला सिन्हा, आशा पारेख, शर्मिला टैगोर जैसी अभिनेत्रियां मिलीं जिन्होंने अपनी सुंदरता और बेहतरीन अभिनय क्षमता से दर्शकों को आकर्षित किया. इस दशक की सबसे बड़ी खासियत रही हेलन, जिन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अपने लिए एक ऐसी जगह बना ली थी जो कभी कोई और हासिल ही नहीं कर पाया.
मनोज कुमार, शम्मी कपूर, धर्मेंद्र आदि इस दौर के सबसे लोकप्रिय अभिनेता रहे.
1970 का युवा बॉलिवुड – 1970 के दशक को अगर बॉलिवुड की युवावस्था कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. फिल्म इंडस्ट्री की शुरुआत से देखा जाए तो 1970 का दशक को सबसे बेहतरीन दौर की संज्ञा से नवाजा जा सकता है. इस दशक में जितनी भी फिल्में रिलीज हुईं उनमें एक्शन. ड्रामा, रोमांस प्रमुख रूप से शामिल थे. 70 तक पहुंचते-पहुंचते सिनेमा का स्वरूप पूरी तरह बदल कर काफी हद तक विस्तृत हो गया था. अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, रेखा, हेमा मालिनी, मुमताज, विनोद खन्ना आदि इस दशक के बड़े नामों में शुमार हैं. शोले जैसी ब्लॉक बस्टर मूवी भी 70 के दशक में ही रिलीज हुई थी.
1980 की डार्क इरा – समय के साथ-साथ प्रगति और ख्याति प्राप्त बॉलिवुड के लिए 1980 का दशक एक बुरे सपने से कम नहीं रहा. सामान्य दृष्टिकोण के अनुसार यह वह दौर था जब फिल्मों में ना तो कहानी हुआ करती थी और ना ही उनका स्क्रीन प्ले ही दमदार होता था. इतना ही नहीं संगीत भी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया था और साथ ही अभिनेता और अभिनेत्रियां भी पैसे कमाने के लिए ही फिल्में करती थीं. हालांकि कुछ फिल्में ऐसी थीं जिन्हें दर्शकों का अच्छा रिस्पॉंस मिला परंतु इनकी संख्या बहुत कम थी.
1990 में बॉलिवुड का फॉरेन कनेक्शन – यह समय बॉलिवुड के लिए बहुत खास था. देखा जाए तो यही वह समय था जब बॉलिवुड प्रशंसकों को पॉप और रॉक म्यूजिक की पहचान होने लगी थी. अब तक जितनी भी फिल्में बनती थीं वह भारतीय पृष्ठभूमि पर ही आधारित होती थीं लेकिन इस दशक में एन.आर.आई. और विदेशों में बसे भारतीयों को आकर्षित करने के लिए भी फिल्मों का निर्माण हुआ. अब फिल्मों की शूटिंग केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी की जाती थी. सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, अक्षय कुमार, करिश्मा कपूर, रानी मुखर्जी, काजोल आदि इस दौर के लोकप्रिय सितारे हैं.
2000 में चला थ्री डी और तकनीक प्रधान फिल्मों का जादू – इस दशक की सबसे मुख्य बात रही बॉलिवुड में बढ़ता तकनीकों का प्रचलन. अभिनय और संगीत के इतर 2000 में जितना ध्यान तकनीकों के विकास की ओर दिया गया है शायद किसी और क्षेत्र में नहीं दिया गया. मेक-अप से लेकर संवाद अदायगी तक लगभग सब कुछ तकनीक और सुविधाओं के कारण ही और अधिक ग्लैमरस हो पाए हैं.
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